सुबह, दोपहर और रात्रि का भोजन !
मैं तो साँझ को, भोर को, और दोपहर को गिड़गिड़ाकर विनती करूँगा, और वह मेरी आवाज़ सुन लेगा।
भजन 55:17
कुछ ऐसा जो मैं पूरी ज़िंदगी ईमानदारी से बिना भूले कर रहा था, सुबह का मेरा नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना! दाऊद कहता है कि वह दिन में तीन बार कुछ विशेष कार्य करता था: परमेश्वर से गिड़गिड़ाकर विनती करना (भजन 55:17)।
नियमित रूप से और बार-बार भोजन करना ज़रूरी है। शारीरिक व्यायाम करना भी अच्छा है (1 तीमु 4:7)। परन्तु ऊपर दिए गए अनुसूची का पालन करने से आपके भौतिक शरीर को ही मदद मिलती है।
याद रखें कि जितनी बार आप अपने भौतिक शरीर को भोजन प्रदान करते हैं, कम-से-कम उतनी बार अपने आत्मिक मनुष्य को भी भोजन प्रदान करें। आपकी आत्मा आँसुओ के सहारे जीवित रह सकती है (भजन 42:3)!
यदि आप परमेश्वर से गंभीरतापूर्वक प्यार करते हैं, तो आप आत्मिक रूप से अपनी आत्मा के साथ-साथ दूसरों को भी आत्मिक भोजन प्रदान करें (यूहन्ना 21:15-22)।
आप परमेश्वर से जितनी गहराई के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहेंगे, आपकी आत्मा भी उतनी ही सुदृढ़ होगी।
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, आपसे हमेशा गिड़गिड़ाकर विनती करते हुए आवश्यक रूप में आत्मिक भोजन लेते रहने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!
(translated from English to Hindi by Sheeba Robinson)
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